अपराध

मनबढ भूमाफिया को नही डर लगता प्रशासन का

पुलिस के सामने मिटटी डाल कर कब्जा कर रहा सार्वजनिक सडक


पुलिस के सामने मिटटी डाल कर कब्जा कर रहा सार्वजनिक सडक
जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र मे कन्हईपुर आराजी नम्बर 11 जो आजादी के पूर्व एवं आजादी के बाद की खतौनी मे भीटा दर्ज है। माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि भीटा कभी भी किसी के नाम नही हो सकता। लेकिन एक बडे भूमाफिया एवं उसके सहयोगियों द्वारा षहर के बीचो बीच स्थित इस बहुमूल्य इस भीटे की जमीन को अपने नाम कूट रचना कारित पटटा बता कर राजस्व विभाग के सहयोग से कब्जा करना और निर्माण करना शुरू कर दिया गया। जबकि भीटे का कभी पटटा हो ही नही सकता और न किसी के नाम हो सकती हैं। इसी आधार पर सक्षम न्यायालयों द्वारा सदैव भूमाफिया के पटटे को फर्जी बताते हुए नाम निरस्त कर भीटा खाते मे दर्ज करने का आदेश दिया गया है। स्थानीय लोगो ने लिखित एवं समाचार पत्रों ने समाचार प्रकाशित कर प्रषासन को इसकी जानकारी कई बार दी। लकिन भूमाफिया द्वारा भीटा भूमि पर निर्माण नही रूका। प्रशासन सरकार की अपनी ही बहुमूल्य जमीन पर कब्जा नही कर सका तो आम जनता की जमीन कैसे कब्जा करने वालों से छुड़वाएगा. इस भीटा भूमि पर एक साल पहले जब थोडा निर्माण यानी कुर्सी तक निर्माण हुआ था तब स्थानीय लोगों द्वारा शिकायत की गयी, तब खाना पूर्ति के लिये नगर मजिस्ट्रेट द्वारा भूमफिया को निर्माण रोकने और ध्वस्त करने  की नोटिस दी गयी थी लेकिन निर्माण रुका नहीं चलता रहा। अलबत्ता आज लगभग दो एकड 53 डिसमिल भूमि पर मैरेज लान एवं मार्ट बन गया और इसे शुरू भी कर दिया गया। मजे की बात यह है कि आज भी कुर्सी ध्वस्त करने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट के यहाँ मुकदमा चल रहा है, क्योंकि जिस दिन ध्वस्त करने की तारीख पडती है उस दिन किसी न किसी कारण मजिस्ट्रेट नही फैसला नही दे पाते. और भूमाफिया अपने मार्ट मे सामान की विक्री चेक कर आराम से एक साल पहले से चल रहे मार्ट की कुर्सी ध्वस्त करने के मुकदमे की पैरवी करने सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत मे जाता है. और नई तारीख़ लेकर वापस आ जाता है, इसी भीटा भूमि पर सैकडों साल पुराना धार्मिक स्थल डीहबाबा एवं उनका सार्वजनिक मार्ग है। जिस पर भी कानून की अवहेलना करते हुये भूमफिया द्वारा गेट लगा कर बन्द कर दिया गया है। इस भूमफिया को प्रशासन का कोई डर नही है। ललकार कर सरकारी जमीन कब्जा करता है और प्रशासन कुछ नही बोल पाता है । अभी दिनांक 20 अगस्त को भीटे की भूमि पर बने प्राचीन सार्वजनिक मार्ग को मिटटी डाल कर कब्जा कर रहा था तो स्थानीय लोगो ने 112 नम्बर पुलिस को बुलाया लेकिन मनबढ भूमफिया पुलिस के सामने ही सार्वजनिक सडक पर मिटटी डाल कर उसके स्वरूप को बदलने का प्रयास करता रहा। लेकिन प्रषासन असहाय नजर आया। कौन सी ऐसी चीज है जिसके दबाव मे प्रशासन करोडो रूपये की सरकारी सम्पत्ति को भूमफिया के हाथ जाने दे रहा है। जिले की जनता जानना चाहती है.

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