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जौनपुर मे चांदमारी कॉलोनी मे अवैध कब्जे का संक्षिप्त इतिहास

स्थगन आदेश के बाद भी बनी अवैध बिल्डिंग के उद्घाटन मे नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी की सरकारी जीप बनी चर्चा का विषय

  • जौनपुर मे चांदमारी कॉलोनी मे अवैध कब्जे का संक्षिप्त इतिहास *स्थगन आदेश के बाद भी बनी अवैध बिल्डिंग के उद्घाटन मे नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी की सरकारी जीप बनी चर्चा जौनपुर. लाइन बाजार थानान्तर्गत चांदमारी कॉलोनी मे विवादित कन्हईपुर आराजी नंबर 11 मे न्यायालय से स्थगन आदेश एवं सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा निर्माण पर रोक को ठेंगा दिखाते हुए भूमाफिया द्वारा बनवाएं गये अवैध मैरेज हाल एवं दुकानों के निर्माण मे सहयोग देने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी समर्थको के सम्मान मे बुधवार की रात बड़े पैमाने पर खानपान की व्यवस्था की गई थी प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार हर तरह के लोग आये थे. क्षेत्रीय लोग यह देख कर हतप्रद रह गये जब नगरपालिका परिषद जौनपुर के अधिशाषी अधिकारी की सरकारी गाड़ी आकर रुकी और उसमे आये लोग उतर कर उस समारोह का हिस्सा बन गए. अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का दम्भ भरने वाली सरकार के हुक्मरानो का बिना अनुमति के बनी अवैध बिल्डिंग के स्वागत समारोह मे पहुंचना इस बात पर पक्की मुहर लगा दिया कि प्रशासन की जानकारी मे अनवरत अवैध निर्माण हुआ है. इसी मुहल्ले के निवासी दीपनारायण यादव ने बताया कि इस जमीन का मालिकाना हक हादी हुसैन का है जो देश की आजादी के बाद 1952 मे पाकिस्तान चले गए और वहीं के निवासी हो गए, लेकिन यहाँ जौनपुर मे उपजिलाधिकारी सदर के समक्ष बीरबल यादव के पिता रामप्रताप यादव ने एक कागज प्रस्तुत किया जिसमे 1962 मे इस जमीन को हादी हुसैन द्वारा रामप्रताप यादव को पट्टा कर दिया दिखाया गया है. जब उपजिलाधिकारी ने पूंछा कि जमीन के मालिक हादी हुसैन जब 1952 मे पाकिस्तान चले गए और वहीं रह गए फिर जौनपुर मे आकर 1962 मे कैसे पट्टा कर दिया. हादी हुसैन के पाकिस्तान जाने का सरकारी प्रमाण तो है लेकिन भारत आने का कोई प्रमाण नही है, अगर आप कोई उनके भारत आने का कोई प्रमाणित साक्ष्य लाते हैं तो यह पट्टा सही माना जायेगा अन्यथा यह फर्जी है. रामप्रसाद यादव ऐसा कोई साक्ष्य अदालत मे नही दे सके जिससे उपजिलाधिकारी सदर ने इस जमीन को बंजर भीटा घोषित कर दिया. जब यह जमीन बीरबल यादव से सरकार द्वारा यह जमीन खाली कराने की बात आयी तो ये लोग कई अदालतों का दरवाजा खटखटाया लेकिन कहीं से राहत नही मिली. तो यादव बंधु सरकार के खिलाफ मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद गए और जहाँ इन लोगों ने हलफनामा दिया कि इस जमीन पर मेरा टिन सेड और कई पेड़ लगे हैं, कई वर्षो से काबिज हूँ. मुझसे जमीन न खाली कराई जाय.तो मा0 उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिया कि बीरबल के पजेसन को डिस्टर्ब न किया जाय. लेकिन जमीन पर किसी तरह का निर्माण कराने का कोई आदेश नही दिया. मुकदमा अब भी मा उच्च न्यायालय और जौनपुर सिविल कोर्ट मे चल रहा है, लेकिन अदालत के स्थगन एवं अधिकारियों द्वारा निर्माण न करने के आदेश की अवहेलना करते हुए 6 महीने से अनवरत निर्माण कर इस जमीन पर दुकाने एवं मैरेज हाल बनवा लिया गया. यही नही इन लोगों ने धार्मिक स्थल डीह बाबा/मजार तक जाने वाले सार्वजनिक रास्ते को भी लोहे कका गेट लगा कर बंद कर दिया. अवैध निर्माण करने की पूरी लिखित मौखिक और समाचार पत्रों से जानकारी प्रशासन तथा पुलिस को दिए जाने के बावजूद काम नही रोका गया. अवैध निर्माण को ध्वस्त किये जाने की नोटिस भी दी गई हैं लेकिन सब हवा हवाई रहा. सरकारी अमला जिन्हे बुलडोजर चला कर इस अवैध निर्माण को गिराना था बुधवार को दावते खास मे वही लोग आये और दावत खा कर चले गये. इससे लगता है कि इस अवैध निर्माण मे परोक्ष रूप से सबका हाथ सबका साथ था.

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