चांदमारी कॉलोनी मे कब्जा की जा रही अरबों रूपये की सरकारी जमीन रिकॉर्ड मे निकली भीटा
जौनपुर. लाइन बाजार थाना क्षेत्र कूट रचना व फोर्जरी कारित भीटा खाते की भूमि पर फर्जी तरीके से नाम दर्ज करा कर लगभग 2 सौ करोड़ रूपये की बेशकीमती जमीन पर भूमाफियों द्वारा साल भर से कब्जा कर मैरेज हाल और दुकाने बनवाई जा रही हैं. इस जमीन पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश है. पत्रकारों ने कब्जे का समाचार प्रकाशित किया और इस भूमि के तह तक गए तो पता चला क़ी यह कन्हईपुर क़ी विवादित भूमि अंग्रेजो के समय से भीटा और चांदमारी के नाम से दर्ज है.
पत्रकारों ने ज़ब रिकॉर्ड रूम से रिकॉर्ड चेक कराया और पक्की नकल ली तो पता चला कि कंहाईपुर कि आराजी नंबर 11/1/2.53 ब्रिटिश काल की खतौनी खसरा 1334 फसली और देश के आजाद होने के बाद खतौनी खसरा 1359 फसली मे भीटा चांदमारी दर्ज है, इस भूखंड पर किसी जमींदार का नाम दर्ज नहीं है. इस तरह भीटा खाते की भूमि को परिवर्तित करने का अधिकार किसी व्यक्ति को नहीं है. इस संबंध मे माननीय सर्वोच्च न्यायलय का फैसला है. हिंचलाल तिवारी प्रति कमला देवी व अन्य A. I. R. 2001(S. C.) Page 3215व पूर्णतया लागू है. इस तरह इस भूमि पर किसी व्यक्ति का नाम दर्ज नहीं हो सकता. इस भूमि पर दर्ज नाम व विवाद स्वतः अवैध हो जाते हैं. चाहे यह भूमि कितने भी वर्षो से किसी अनाधिकृत व्यक्ति के कब्जे मे हो या कूट रचना कर विधि विरुद्ध नाम अंकित कराया गया हो. इस फैसले के बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय का भीटा के संबंध मे कोई अन्य दूसरा फैसला नहीं आया है. यही फैसला पुरे देश मे अब नजीर हैं और प्रभावी है.
- बीरबल यादव पुत्र रामप्रताप यादव एवं रामप्रताप यादव पुत्र सुखूं यादव अवैध रूप से कूट रचना कारित करते हुए अपना नाम दर्ज कराने तथा अवैध अध्यासन स्थापित कर उस पर अवैध निर्माण किया जा रहा है. जिसके संबंध मे बीरबल पुत्र रामप्रताप द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह जमीन हादी हुसैन द्वारा 1962 मे उसके पिता रामप्रताप पुत्र सुकखु को पट्टा किया गया है. जबकि हादी हुसैन सन 1952मे पाकिस्तान चले गए और वहाँ निवासी हो गए.जो भूमि वे 1952 मे भारत मे छोड़ कर गए थे उसमे आराजी नंबर 11 का नाम ही नहीं है.इसका मतलब कान्हाईपुर की आराजी नंबर 11 भूमि तब भी सरकारी भीटा थी. भीटा किसी के नाम नहीं हो सकता, यह कीमती जमीन भूमाफियाओं को हथियाना था इसलिए भूमाफिया लोगों ने इसे कूट रचना कारित करते हुए इसे जमींदार हादी हुसैन के नाम से उक्त जमीन अंकित कराया फिर कूट रचना करते हादी हुसैन नाम से सन 1962 मे एक पट्टा निर्गत कराया गया जिसमे लिखा था कि रामप्रताप पुत्र सुखू के पक्ष मे यह जमीन पट्टा की जा रही है, बस यही पट्टा दिखा कर कब्जा करने वाले चूक गए क्योंकि हादी हुसैन सन 1952 मे ही पाकिस्तान चले गए थे और Asst. Custodian Evacuee property jaunpur द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र जिसमे उनकी संपत्ति मे आराजी नंबर 11 कन्हैईपुर का नाम ही नहीं है. इसका मतलब सन 1962 मे कूट रचित दस्तावेज दिखा कर फर्जी व्यक्ति को खड़ा करके हादी हुसैन के
- नाम से पट्टा प्राप्त किया गया. जो कूट रचना पर आधारित है.
- उपजिलाधिकारी सदर जौनपुर द्वारा न्यायालय मे सुनवाई करते हुए सन 1998 एवं सन 2010 मे आदेश दिया कि आराजी संख्या 11,4,3,25,31,48,68,91,32,28,व 33 पर अंकित रामप्रताप पुत्र सुकखू का नाम निरस्त कर भीटा व बंजर खाते मे अंकित किया जाय.
- कब्जा करने वालों के खिलाफ जमीन खाली कराने के लिए ज़ब प्रशासन दबाव डालने लगा तो कब्जा करने वाले ने 2024 मे माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज गए और एक रिट संख्या 7739/2024 दाखिल किया जिसमे कहा गया कि आराजी नंबर 11 कन्हाईपुर मे कोई विवाद नहीं है और हम लोगों ने उस आराजी के कुछ भाग पर वर्षो पूर्व से गाय भैस पालने के लिए टिन सेड रखा है उस पर से हमें बे दखल न किया जाय और डिस्टर्ब न किया जाय. ज़ब तक अदालत से कोई फैसला न आ जाय. मा. उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश दिया कि अग्रिम आदेश तक कब्जे को डिस्टर्ब न किया जाय लिखा है. किसी भी तरह के निर्माण का आदेश नहीं है
- इस तरह यह पूरी आराजी भीटा बंजर है.
- अब बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के एक खतौनी जिस पर बीरबल के नाम के साथ भीटा, नाला, बंजर जमीन की आराजी का नंबर दर्ज है जो कभी सम्भव नहीं है और मा. उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश जहाँ गाय भैस के लिए टिन सेड बना है को डिस्टर्ब न किया जाय के आदेश को दिखा कर राजस्व व पुलिस कर्मियों को मैनेज करते हुए भीटा जमीन पर मैरेज हाल बनवा लिया गया दुकाने बनवा ली गयी. पास पड़ोस के लोगों को परेशान किया जा रहा है.
- मुख्यमंत्री महोदयसे जौनपुर की जनता ने अनुरोध किया है कि सरकारी भीटा बंजर क़ी जमीन पर से कब्जे को तत्काल हटा कर सरकारी संरक्षण मे लिया जाय.